कल्पना करो कि तुम अपने पसंदीदा लोकल बेकरी में निवेश कर रहे हो। हर साल, जैसे-जैसे बेकरी बढ़ती है और अधिक मुनाफा कमाती है, मालिक तुम्हें एक वफादार सपोर्टर के लिए अपने मुनाफे का एक हिस्सा बांटने का फैसला करता है। तुम्हारे निवेश के लिए ये "थैंक यू" कुछ उसी तरह है जैसे कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड्स (dividends) के जरिए अपने मुनाफे का एक हिस्सा देती हैं।
डिविडेंड्स (dividends) निवेश में एक बुनियादी कॉन्सेप्ट है, जो किसी कंपनी के शेयरों के स्वामित्व के ठोस लाभों का प्रतिनिधित्व करता है। ये सिर्फ समय-समय पर मिलने वाले पेमेंट्स नहीं होते; ये कंपनी की सेहत, प्रॉफिटेबिलिटी (profitability), और इन्वेस्टर्स (investors) के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। ये वो मीठे इनाम हैं जो आपके पोर्टफोलियो (portfolio) को गुनगुनाने पर मजबूर कर सकते हैं।
इस चैप्टर में, हम डिविडेंड्स (dividends) की दुनिया का पता लगाएंगे - ये क्या हैं, कैसे काम करते हैं, और क्यों मायने रखते हैं। हम विभिन्न प्रकार के डिविडेंड्स (dividends), कंपनी की डिविडेंड पॉलिसी (dividend policy) के महत्व और डिविडेंड्स (dividends) का स्टॉक प्राइसेज़ (stock prices) पर प्रभाव को उजागर करेंगे।
तो चाहे आप एक अनुभवी इन्वेस्टर (investor) हों या अभी शुरुआत कर रहे हों, डिविडेंड्स (dividends) को समझना आपको सूचित निर्णय लेने और अपने निवेश के मीठे इनाम का आनंद लेने में मदद करेगा।
डिविडेंड्स (dividends) आमतौर पर नियमित आधार पर, जैसे कि तिमाही या वार्षिक रूप से, दिए जाते हैं और यह कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (board of directors) द्वारा तय किया जाता है। डिविडेंड्स (dividends) के दो मुख्य प्रकार हैं:
1) कैश डिविडेंड्स (Cash Dividends):
ये सबसे आम रूप के डिविडेंड्स (dividends) होते हैं, जहां कंपनियां अपने मुनाफे का एक हिस्सा सीधे शेयरहोल्डर्स को कैश में बांटती हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी प्रति शेयर 10 रुपये का कैश डिविडेंड (cash dividend) घोषित करती है और आपके पास 100 शेयर हैं, तो आपको 1,000 रुपये मिलेंगे।
2) स्टॉक डिविडेंड्स (Stock Dividends):
कैश की बजाय, कंपनियां शेयरहोल्डर्स को अतिरिक्त शेयर जारी कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी 5% का स्टॉक डिविडेंड (stock dividend) घोषित करती है, तो आपको हर 100 शेयरों के लिए 5 अतिरिक्त शेयर मिलेंगे।
डिविडेंड्स (dividends) इन्वेस्टर्स (investors) को आकर्षित और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ कुछ कारण हैं कि ये क्यों महत्वपूर्ण हैं:
इनकम जेनरेशन (Income Generation): डिविडेंड्स (dividends) एक स्थिर इनकम स्ट्रीम (income stream) प्रदान करते हैं, खासकर रिटायरीज (retirees) के लिए, जिससे वे एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बन जाते हैं।
फाइनेंशियल हेल्थ का संकेत (Signal of Financial Health): लगातार डिविडेंड पेमेंट्स (dividend payments) कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी (profitability) को इंगित करते हैं। उदाहरण के लिए, टीसीएस (TCS) और इंफोसिस (Infosys) जैसी कंपनियां, जो लगातार डिविडेंड्स (dividends) का भुगतान करती हैं, अक्सर वित्तीय रूप से मजबूत और अच्छी तरह प्रबंधित मानी जाती हैं।
इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षण (Attraction for Investors): डिविडेंड पेइंग स्टॉक्स (dividend-paying stocks) इनकम-फोकस्ड इन्वेस्टर्स (income-focused investors) को आकर्षित कर सकते हैं। उच्च डिविडेंड यील्ड्स (dividend yields) एक स्टॉक को अन्य निवेश विकल्पों जैसे बॉन्ड्स (bonds) या सेविंग्स अकाउंट्स (savings accounts) की तुलना में अधिक आकर्षक बना सकते हैं।
टैक्स बेनिफिट्स (Tax Benefits): भारत में, पहले डिविडेंड्स (dividends) डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (dividend distribution tax - DDT) के अधीन थे, लेकिन अब इन्हें शेयरहोल्डर्स के इनकम टैक्स स्लैब्स (income tax slabs) के अनुसार टैक्स किया जाता है। इस बदलाव ने डिविडेंड्स (dividends) को निम्न कर स्लैब्स में निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बना दिया है।
प्रत्येक कंपनी के पास मुनाफे के वितरण के लिए अपनी खुद की रणनीति होती है। उनकी डिविडेंड पॉलिसी (dividend policy) तय करती है कि कितना शेयरहोल्डर्स को मिलेगा और कितना कंपनी की ग्रोथ में पुनर्निवेशित किया जाएगा। यह पॉलिसी (policy) कंपनी की वित्तीय स्थिति, विकास की संभावनाओं और उद्योग के मानकों जैसे कारकों के आधार पर भिन्न होती है।
कंसिस्टेंट डिविडेंड पेयर्स (Consistent Dividend Payers): आईटीसी लिमिटेड (ITC Ltd.) और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Ltd.) जैसी कंपनियां अपने लगातार डिविडेंड पेमेंट्स (dividend payments) के लिए जानी जाती हैं। ये कंपनियां नियमित रूप से शेयरहोल्डर्स को इनाम देने को प्राथमिकता देती हैं, जो उनके स्थिर अर्निंग्स (earnings) और मजबूत कैश फ्लो (cash flows) को दर्शाता है।
वेरिएबल डिविडेंड पेयर्स (Variable Dividend Payers): कुछ कंपनियां अपने वार्षिक मुनाफे और व्यापार की जरूरतों के आधार पर डिविडेंड्स (dividends) का भुगतान कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Ltd.) की एक वेरिएबल डिविडेंड पॉलिसी (variable dividend policy) है, जहां पेरआउट (payout) हर साल उसके वित्तीय प्रदर्शन और निवेश आवश्यकताओं के आधार पर बदल सकता है।
हाई डिविडेंड यील्ड स्टॉक्स (High Dividend Yield Stocks): उच्च डिविडेंड यील्ड्स (high dividend yields) वाले स्टॉक्स इनकम-फोकस्ड इन्वेस्टर्स (income-focused investors) के लिए आकर्षक होते हैं। उदाहरण के लिए, कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Ltd.) ने ऐतिहासिक रूप से उच्च डिविडेंड यील्ड्स (dividend yields) की पेशकश की है, जो इसे डिविडेंड इन्वेस्टर्स (dividend investors) के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है।
डिविडेंड पेमेंट प्रोसेस (dividend payment process) में कुछ विशेष स्टेप्स होते हैं:
1) डिक्लेरेशन डेट (Declaration Date):
वह तारीख जिस पर कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (board of directors) डिविडेंड पेमेंट (dividend payment) की घोषणा करता है।
2) रिकॉर्ड डेट (Record Date):
वह तारीख जो कंपनी द्वारा निर्धारित की जाती है ताकि डिविडेंड के लिए पात्र शेयरहोल्डर्स को निर्धारित किया जा सके। केवल कंपनी की पुस्तकों में मौजूद शेयरहोल्डर्स को इस तारीख पर डिविडेंड मिलेगा।
3) एक्स-डिविडेंड डेट (Ex-Dividend Date):
वह तारीख जिस पर स्टॉक डिविडेंड के बिना ट्रेड करना शुरू करता है। जो निवेशक स्टॉक को एक्स-डिविडेंड डेट (ex-dividend date) पर या उसके बाद खरीदते हैं, उन्हें घोषित डिविडेंड नहीं मिलेगा।
4) पेमेंट डेट (Payment Date):
वह शानदार दिन जब शेयरहोल्डर्स को उनका डिविडेंड पेरआउट (dividend payout) मिलता है!
डिविडेंड्स (dividends) किसी कंपनी के स्टॉक प्राइस (stock price) को प्रभावित कर सकते हैं। स्टॉक प्राइस (stock price) आमतौर पर एक्स-डिविडेंड डेट (ex-dividend date) पर डिविडेंड अमाउंट (dividend amount) से कम हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनी की एसेट्स (assets) डिविडेंड पेरआउट (dividend payout) के कारण घट जाती हैं, और नए खरीदारों को डिविडेंड नहीं मिलता।
उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी प्रति शेयर 5 रुपये का डिविडेंड (dividend) घोषित करती है, और उसका स्टॉक 100 रुपये पर ट्रेड कर रहा है, तो एक्स-डिविडेंड डेट (ex-dividend date) पर स्टॉक प्राइस (stock price) 95 रुपये तक गिर सकता है।
केस स्टडी: टीसीएस (Case Study: TCS)
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services - TCS) एक मजबूत डिविडेंड पॉलिसी (dividend policy) वाली कंपनी का उत्कृष्ट उदाहरण है। टीसीएस (TCS) ने लगातार डिविडेंड्स (dividends) का भुगतान किया है, जो उसकी मजबूत वित्तीय स्थिति और शेयरहोल्डर्स को मूल्य लौटाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए, टीसीएस (TCS) ने कुल 38 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड (dividend) घोषित किया, जिससे उसकी पर्याप्त लाभ उत्पन्न करने और अपने निवेशकों को इनाम देने की क्षमता का प्रदर्शन होता है।
डिविडेंड्स (dividends) किसी निवेशक के रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट (return on investment) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। डिविडेंड्स (dividends) को समझकर, निवेशक अपने निवेश के बारे में सूचित निर्णय ले सकते हैं और उन कंपनियों का चयन कर सकते हैं जो उनकी इनकम और ग्रोथ ऑब्जेक्टिव्स (growth objectives) के साथ मेल खाती हैं।
अगला, हम एक और कॉर्पोरेट एक्शन (corporate action) का पता लगाएंगे जो शेयरहोल्डर्स को इनाम देता है: बोनस इश्यूज (bonus issues)। हम बोनस इश्यूज (bonus issues), ये शेयरहोल्डर्स को कैसे लाभ पहुंचाते हैं, और भारतीय बाजार में इनके महत्व को उजागर करेंगे।
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Disclaimer: This article is for informational purposes only and does not constitute financial advice. It is not produced by the desk of the Kotak Securities Research Team, nor is it a report published by the Kotak Securities Research Team. The information presented is compiled from several secondary sources available on the internet and may change over time. Investors should conduct their own research and consult with financial professionals before making any investment decisions. Read the full disclaimer here.
Investments in securities market are subject to market risks, read all the related documents carefully before investing. Brokerage will not exceed SEBI prescribed limit. The securities are quoted as an example and not as a recommendation. SEBI Registration No-INZ000200137 Member Id NSE-08081; BSE-673; MSE-1024, MCX-56285, NCDEX-1262.
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