Home » Research » Investment Knowledge Bank » Hindi » What Is Equity

शेयर बाजार की मूल बातें

वित्तीय साधनों की मूल बातें क्या है?

अ: आइये एक उदाहरण से बॉन्ड और स्टॉक नामक निवेश के दो मूलभूत प्रकारों को समझते हैं. उदा. कल्पना कीजिए कि आप स्वयं का ग्रोसरी स्टोर शुरू करना चाहते हैं. प्रारंभ करने के लिए आपको पूंजी राशि आवश्यकता होगी. आप किसी मित्र से अपेक्षित फंड प्राप्त करते हैं और इस ऋण की प्राप्ति लिखते हैं ‘मैं आपसे 100000 रु. का ऋणी हूं और आपको मूलधन ऋण राशि और 5% ब्याज का भुगतान करुंगा’. आपके मित्र ने बॉन्ड (IOU) खरीद कर आपकी कंपनी को पैसा उधार दिया है.

इसलिए बॉन्ड अन्य लोगों को पैसा उधार देकर निवेश करने का साधन है. जब आप बॉन्ड में निवेश करते हैं, तो आपके द्वारा खरीदा गया बॉन्ड उधार ली गई धन राशि (अंकित मूल्य), उधार लेने वाले को जिस ब्याज दर (कूपन दर या यील्ड) का भुगतान करना है, ब्याज भुगतान (कूपन भुगतान), और पैसा वापस करने की डेडलाइन (परिपक्वता दिनांक) दिखाएगा.

बॉन्ड में निवेश करने के कई फायदे और नुकसान हैं

फायदे

बॉन्ड आपको लघु-अवधि के निवेशों की तुलना में उच्च ब्याज दर प्रदान करते हैं.

स्टॉक की तुलना में बॉन्ड में जोख़िम कम होता है.

नुकसान

बॉन्ड् को बकाया होने से पहले बेचने पर नुकसान हो सकता है, जिसे छूट कहा जाता है. यदि बॉन्ड जारीकर्ता खुद को दिवालिया घोषित कर देता है, तो आप अपना पैसा खो सकते हैं. इसलिए आपको बॉन्ड जारीकर्ता की विश्वसनीयता यह सुनिश्चित करते हुए सूक्ष्मता से मूल्यांकित करना चाहिए कि उसमें बॉन्ड राशि का भुगतान करने की क्षमता है या नहीं. अब, आइये समान उदाहरण के साथ जारी रखते हैं. अपने नए ग्रोसरी स्टोर के लिए अधिक पूंजी एकत्रित करने हेतु, आप अपनी आधी कंपनी अपने भाई को 50,000 रु. में बेच देते हैं. आपने यह लेनदेन लिखित में किया है ‘मेरी नई कंपनी स्टॉक के 100 शेयर जारी करेगी. मेरा भाई 50,000 रु. में 50 शेयर खरीदेगा.' इस तरह, आपके भाई ने आपकी कंपनी के स्टॉक के 50% शेयर खरीद लिए हैं.

इसलिए, स्टॉक का वर्णन करने के लिए:
स्टॉक को इक्विटी के नाम से भी जाना जाता है, जो कि कंपनी में शेयर होते हैं. यह किसी कॉर्पोरेशन में स्वामित्व का प्रमाणपत्र है. सरल शब्दों में, जब आप किसी कंपनी में निवेश करते हैं या इसके शेयर खरीदते हैं, तो आप कंपनी एक भाग के मालिक बन जाते हैं. इस तरह, स्टॉक धारक के रूप में, आप कंपनी को होने वाले लाभ के साथ ही कंपनी को होनी वाली हानि के भी साझेदार बन जाते हैं. जैसे जैसे कंपनी अच्छा प्रदर्शन करने लगती है, आपके स्टॉक का मूल्य बढ़ेगा और अधिक लाभांश उत्पन्न होगा.

लाभांश: किसी कॉर्पोरेशन की कमाई में से शेयर धारकों को, कंपनी के निदेशकों द्वारा निर्धारित, दी जाने वाली धनराशि.

यह उदाहरण दो प्रमुख प्रकार के निवेशों को कवर करता है: बॉन्ड और स्टॉक

भारत में स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग का इतिहास दोहराते हैं

अ: पूर्व समय में, स्टॉकब्रोकर उलझनभरी गतिविधियों की एक व्यवस्था से दूसरी व्यवस्था पर अंतरित होते हुए अपनी व्यापारिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए 'स्वाभाविक' स्थानों के लिए खोज करते थे. चूँकि ब्रोकरों की संख्या बढ़ रही थी और सड़कों पर भीड़ बढ़ने लगी थी, तो उनके पास बस एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

अंत: 1854 में, भारत में ट्रैडिंग को दलाल स्ट्रीट के रूप में स्थाई पता मिला, जो कि अब एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्स्चेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का पर्यायवाची है. 130 वर्षों पुरानी विरासत वाला बीएसई प्रतिभूति अनुबंध नियमन अधिनियम, 1956 के तहत स्थाई पहचान प्रदान किए जाना वाला पहला स्टॉक एक्सचेंज था. इस एक्सचेंज ने दुनिया के सबसे पुरानों में से एक भारतीय प्रतिभूति बाजार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है. भारत को स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद, बीएसई ने सरल दिशा-निर्देश बनाएं, जिन्हें भारतीय पूंजी बाजार ने अपनाया. यहां तक कि आज भी, बीएसई सेंसेक्स भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्त की मजबूती मापने के मानकों में शुमार होता है.

1993 में भारत में ट्रेडिंग परिदृश्य एक व्यापक परिवर्तन से गुजरा, एनएसई को स्टॉक एक्सचेंज के रूप में पहचान प्राप्त हुई. कुछ ही वर्षों में दोनों एक्सचेंज में ट्रेडिंग, खुले चिल्लाहट वाले माहौल से स्वचालित ट्रेडिंग माहौल में बदल गया. वर्तमान में, भारतीय प्रतिभूति बाजार आधुनिक तकनीक के उपयोग से अन्य वैश्विक बाजारों से कदम से कदम मिला रहा है.

स्टॉक बाजार की उपलब्धियाँ

अ:

1875 बीएसई ‘मूल शेयर और स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन’ के रूप में स्थापित हुआ

1956 बीएसई प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम के अंतर्गत मान्यता प्राप्त पहला स्टॉक एक्सचेंज बना.

1993 एनएसई को स्टॉक एक्सचेंज के रूप में मान्यता मिली.

2000 एनएसई पर इंटरनेट ट्रेडिंग का सूत्रपात हुआ.

2000 एनएसई पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग (इंडेक्स फ्यूचर) का सूत्रपात हुआ

2001 बीएसई पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग का सूत्रपात हुआ

प्राथमिक और द्वितीयक बाजार

प्राथमिक बाजार
अ: कोई जारीकर्ता/कंपनी पूंजी बढ़ाने के लिए प्राथमिक बाजार में प्रवेश करती है. वे एक्सचेंज में निवेशक (खरीदार) को नकद के बदले में नई प्रतिभूतियाँ जारी करती हैं. यदि जारीकर्ता पहली बार प्रतिभूति बेच रहा है, तो इसे इनिशियल पब्लिक ऑफ़र (आईपीओ) कहा जाता है. सार रूप में, प्राथमिक बाजार का मतलब वे कंपनियाँ जो पूंजी बढ़ाने के लिए सामान्य जनता में इनिशियल पब्लिक ऑफ़र के रूप में शेयर जारी करती है. उदा. यदि किसी निजी कंपनी एक्सवाईजेड के प्रमोटर निवेशकों को अपने शेयर उपलब्ध करवाता है, तो यह कहा जाएगा कि एक्सवाईजेड ने प्राथमिक बाजार में प्रवेश कर लिया है.

द्वितीयक बाजार
अ: नई प्रतिभूतियों को प्राथमिक बाजार में बेच देने के बाद, यदि निवेशक प्रतिभूतियों को आकर्षक अवसर के रूप में देखते हैं, तो उनके पुनर्विक्रय के लिए प्रभावी क्रियाविधि अवश्य होनी चाहिए. द्वितीयक बाजार उन लेनदेनों को कहा जाता है जिनमें कोई निवेशक दूसरे निवेशक से प्रचलित बाजार मूल्य या खरीदार और विक्रेता दोनों द्वारा सहमत मूल्य पर शेयर खरीदता है. द्वितीयक बाजार या स्टॉक एक्सेचेंज का नियामक प्राधिकरण द्वारा नियमन किया जाता है. भारत में, प्राथमिक और द्वितीयक बाजार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा संचालित किए जाते हैं.
उदाहरण के लिए, यदि एक निवेशक जिसने एक्सवाईजेड कंपनी के शेयर में निवेश किया है, वह इन्हें सहमत हुए मूल्य पर दूसरे निवेशक को बेचता है, तो कहा जाएगा कि द्वितीयक बाजार लेनदेन हुआ. सामान्यतया निवेशक, प्रक्रिया की सुविधा देने वाले किसी बिचौलिये जैसे ब्रोकर का उपयोग करके प्रतिभूतियों का लेनदेन करते हैं

सेबी से परिचय

अ: भारत सरकार ने 1988 में स्टॉक बाजार में नियामक निकाय, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड स्थापित किया. कुछ ही समय बाद बोर्ड को स्वतंत्र अधिकार देते हुए विकास और नियमन दोनों को कवर करने वाले उत्तरदायित्वों के साथ 1992 में पारित सेबी अधिनियम के माध्यम से सेबी स्वायत्तशासी निकाय बन गया. सेबी द्वारा लागू किए गए नियामक उपाय सुनिश्चित करते हैं कि निवेशक प्रतिभूतियों में सुरक्षित और पारदर्शी सौदों से लाभन्वित हों.

बोर्ड के मूल उद्देश्य निम्न हैं:

अ: प्रतिभूति में निवेशकों के हितों की सुरक्षा करना
प्रतिभूति बाजार के विकास को बढ़ावा देना
प्रतिभूति बाजार का नियमन करना
सेबी ने पूंजीकरण आवश्यकताओं, उधारी के जोख़िम को कम करने वाले समाशोधन कॉर्पोरेशन की स्थापना, पूंजीकरण आवश्यकताओं जैसे उपाय लागू करके प्रतिभूति बाजार के सुधार में योगदान दिया है.
वर्तमान में, बोर्ड ने प्रतिभूति बाजार को राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत करने और एक्सचेंज के माध्यम से लेनदेन करने वाले ट्रेडर (बैंक, वित्तीय संस्थान, बीमा कंपनियां, म्युचूअल फंड, प्राथमिक डीलर आदि सहित) की संख्या बढ़ाने के लिए ट्रेडिंग उत्पादों में विविधता लाकर दोहरे लक्ष्यों को जारी रखा है. इस संदर्भ में सन् 2000 में सेबी द्वारा भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में डेरिवेटिव ट्रेडिंग वाकई में ऐतिहासिक घटना है.

स्टॉक एक्सचेंज क्या है?स्टॉक एक्सचेंज स्टॉक ब्रोकर को कंपनी स्टॉक और अन्य प्रतिभूतियों का व्यापार करने की सुविधा प्रदान करता है. कोई स्टॉक केवल तब खरीदा और बेचा जा सकता है जब वह एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो. इसलिए यह खरीदार और विक्रेता के मिलने का स्थान है. भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है.

यह कैसे मदद करता है ?
  • मौजूदा बैंक खाता सुविधा का उपयोग
  • भागीदारी के माध्यम से सुविधा का उपयोग
  • कोटक सिक्योरिटीज समर्थन
Reach Us